नागपुर में पीएम मोदी की आरएसएस मुख्यालय यात्रा पर संजय राउत का बड़ा दावा
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने सोमवार को बड़ा बयान देते हुए दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर स्थित आरएसएस कार्यालय में अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करने के लिए दौरा किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगला प्रधानमंत्री महाराष्ट्र से होगा।

मोदी की सेवानिवृत्ति की चर्चा?
मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संजय राउत ने कहा, “पीएम मोदी नागपुर में आरएसएस कार्यालय गए थे ताकि अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा कर सकें। मेरी जानकारी के अनुसार, उन्होंने पिछले 10-11 वर्षों में कभी आरएसएस मुख्यालय का दौरा नहीं किया था। आरएसएस अब नेतृत्व में बदलाव चाहता है और मोदी अब पद छोड़ रहे हैं।”
राउत ने आगे कहा कि आरएसएस ही तय करेगा कि मोदी के बाद अगला प्रधानमंत्री कौन होगा और वह महाराष्ट्र से होगा। उन्होंने दावा किया कि इसी कारण मोदी को नागपुर बुलाया गया था, जहां बंद कमरे में बैठक कर इस पर चर्चा की गई।
कांग्रेस का भी समर्थन
संजय राउत के इस बयान पर कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने भी सहमति जताई। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि संजय राउत जो कह रहे हैं वह सही है। आरएसएस आमतौर पर 75 वर्ष की उम्र पार करने वालों को रिटायर कर देता है। पीएम मोदी की उम्र भी बढ़ रही है, इसलिए अब उनकी सेवानिवृत्ति पर विचार हो सकता है।”
दलवाई ने आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “यह संगठन कट्टरपंथी विचारधारा से जुड़ा है और इसी ने वीएचपी और बजरंग दल जैसी संस्थाओं को बनाया है।”
नागपुर में पीएम मोदी का दौरा
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय का दौरा किया, जो किसी भी वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए एक दुर्लभ घटना है। इससे पहले 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान यहां का दौरा किया था।
अपने दौरे के दौरान पीएम मोदी ने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की आधारशिला भी रखी। यह नया संस्थान स्व. माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की स्मृति में बनाया जा रहा है, जो आरएसएस के प्रमुख नेताओं में से एक थे।
मोदी ने की आरएसएस की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर आरएसएस की प्रशंसा करते हुए इसे “भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वटवृक्ष” बताया। उन्होंने कहा, “यह कोई साधारण वटवृक्ष नहीं है, यह संगठन भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करने का काम कर रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि आरएसएस सेवा का पर्याय है और इसके स्वयंसेवक बाढ़, भूकंप और कुंभ मेले जैसे अवसरों पर लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं।
राजनीतिक मायनों की तलाश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी और आरएसएस के बीच रिश्तों में हाल के वर्षों में उतार-चढ़ाव आए हैं। चुनाव से पहले “मोदी की गारंटी” और “400+” सीटों के नारे को लेकर संघ में नाराजगी देखी गई थी। अब मोदी की यह यात्रा आरएसएस के साथ संबंध सुधारने और भाजपा नेतृत्व के भविष्य को सुरक्षित करने की एक रणनीति मानी जा रही है।
अब देखना यह होगा कि इस बैठक का क्या असर पड़ता है और भाजपा में आगामी नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।
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