वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024: एक विस्तृत विश्लेषण
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार लाना है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे “संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ” और “विशेष लक्षित कानून” बताया है। इस विधेयक को लेकर देशभर में चर्चा और विरोध दोनों देखने को मिल रहे हैं। आइए, जानते हैं कि यह विधेयक क्या है, इसके क्या प्रावधान हैं, और यह किस तरह से देश पर प्रभाव डालेगा।
विधेयक का उद्देश्य क्या है?
विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है ताकि वक्फ संपत्तियों की बेहतर निगरानी और प्रबंधन हो सके। इस विधेयक के तहत कुछ प्रमुख बदलाव किए जा रहे हैं:
- वक्फ अधिनियम का नाम बदला जाएगा और नए सिरे से परिभाषाएं तय की जाएंगी।
- वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा।
- तकनीक के उपयोग से वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन डिजिटल किया जाएगा, जिससे रिकॉर्ड सुरक्षित और पारदर्शी रहेगा।

वक्फ बोर्ड से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ
वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों को लेकर कई विवाद और चुनौतियाँ सामने आई हैं, जिन्हें हल करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। सरकार के अनुसार, निम्नलिखित मुद्दे वक्फ प्रबंधन में बाधा डाल रहे हैं:
- वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता:
- “एक बार वक्फ, हमेशा के लिए वक्फ” की अवधारणा विवादास्पद रही है। गुजरात के बेट द्वारका द्वीप सहित कई स्थानों पर वक्फ संपत्तियों को लेकर कानूनी विवाद चल रहे हैं।
- कानूनी विवाद और कुप्रबंधन:
- वक्फ अधिनियम, 1995 और 2013 में किए गए संशोधनों के बावजूद अवैध अतिक्रमण, स्वामित्व विवाद, पंजीकरण में देरी और मुकदमों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- न्यायिक निरीक्षण की कमी:
- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले उच्च न्यायालयों में चुनौती नहीं दिए जा सकते, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर असर पड़ता है।
- वक्फ संपत्तियों का अपूर्ण सर्वेक्षण:
- कई राज्यों में वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण अधूरा है। गुजरात और उत्तराखंड में सर्वे शुरू नहीं हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश में 2014 से सर्वे लटका हुआ है।
- अधिकारों का दुरुपयोग:
- कुछ राज्य वक्फ बोर्डों पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके समुदायों के बीच तनाव बढ़ाने का आरोप लगा है।
- वक्फ अधिनियम की धारा 40 का दुरुपयोग कर निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने के कई मामले सामने आए हैं।
- संवैधानिकता को लेकर सवाल:
- यह अधिनियम केवल एक ही धर्म पर लागू होता है, जबकि अन्य धर्मों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।
विधेयक से गरीबों को कैसे फायदा होगा?
सरकार का कहना है कि यह विधेयक गरीबों और पिछड़े वर्गों के कल्याण में सहायक होगा। इसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण:
- एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल बनाया जाएगा, जिससे संपत्तियों का सही प्रबंधन हो सकेगा।
- लेखा-परीक्षा और ऑडिट सुधार:
- वक्फ बोर्डों को आर्थिक कुप्रबंधन से बचाने के लिए कड़े ऑडिट और निरीक्षण की व्यवस्था होगी।
- अवैध कब्जों की रोकथाम:
- वक्फ भूमि पर अवैध कब्जों को रोका जाएगा, जिससे वक्फ संपत्तियों से मिलने वाली आय में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास में सुधार:
- वक्फ बोर्डों की आमदनी को गरीबों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और रोजगार योजनाओं में लगाया जाएगा।
विधेयक के अन्य प्रमुख प्रावधान
- वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी
- केंद्रीय वक्फ परिषद में 2 गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे (कुल 22 में से)।
- राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से 2 गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे।
- ट्रस्ट और वक्फ की अलग-अलग पहचान
- मुस्लिम ट्रस्टों को वक्फ से अलग कर दिया जाएगा, जिससे ट्रस्टों पर पूरी तरह उनका नियंत्रण होगा।
- ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों की स्थिति
- यदि कोई संपत्ति पहले से पंजीकृत है, तो उसे वक्फ माना जाएगा, जब तक कि इसे सरकारी भूमि घोषित न किया जाए।
- महिलाओं के अधिकार
- पारिवारिक वक्फ में महिलाओं को विरासत में अधिकार पहले ही मिल जाएगा।
- विधवा, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान होंगे।
- वक्फ ट्रिब्यूनलों को सशक्त बनाना
- न्यायाधीशों की नियुक्ति की संरचित प्रक्रिया होगी और निर्धारित कार्यकाल तय किया जाएगा।
- वक्फ बोर्डों का वार्षिक योगदान घटाया जाएगा
- वक्फ संस्थानों के लिए अनिवार्य योगदान 7% से घटाकर 5% किया जाएगा।
- वक्फ संपत्तियों पर दावा करने की सीमा
- 1963 का सीमांकन अधिनियम (Limitation Act) अब वक्फ संपत्तियों पर भी लागू होगा, जिससे पुराने मुकदमे कम होंगे।
- धारा 40 हटाई जाएगी
- अब वक्फ बोर्ड मनमाने ढंग से किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं कर पाएगा।
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की आपत्तियाँ
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक को “विशेष लक्षित कानून” करार दिया है। उनका कहना है कि:
- यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
- विधेयक का मकसद वक्फ बोर्डों की शक्ति को कमजोर करना है।
- गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान वक्फ बोर्डों के स्वायत्तता के खिलाफ है।
निष्कर्ष
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 एक महत्वपूर्ण विधेयक है जो वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता और कानूनी सुधारों की बात करता है। हालाँकि, विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं। इस विधेयक को लेकर आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस तेज हो सकती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि अंततः यह कानून बनता है या नहीं।
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